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Skin Diseases in Hindi:त्वचा रोग के लक्षण, कारण, और इलाज
त्वचा के रोग आज के समय में बहुत बड़ी समस्या है हर 10 में से 3 लोग इससे परेशान है त्वचा विकारों में कुछ रोग दिखाई देने में भद्दे लगते हैं तो कुछ लक्षणों से पीड़ित करते हैं
देखने पर समझ आता है की शारीरिक और मानसिक दोनों प्रकार से ही त्वचा रोग परेशान करते हैं
इस समस्या को भली प्रकार से समझने के लिए हमे चरक संहिता का संदर्भ जानना चाहिए
आयुर्वेद में सभी त्वचा रोगों को कुष्ठ के अंतर्गत रखा गया है
त्वचा में आम समस्याएं:
त्वचा से जुड़े सैकड़ों रोग हैं जो लोगों को प्रभावित करते हैं। त्वचा के कुछ सामान्य रोगों में कुछ लक्षण समान हो सकते हैं, इसलिए उनके बीच की विभिन्नता जानना महत्वपूर्ण है। त्वचा से जुड़े कुछ मुद्दे हल्के होते हैं, लेकिन दूसरे जीवन भर के लिए गंभीर होते हैं। बात अगर आपको त्वचा की कुछ आम समस्याएं हैं,
एक्ने या मुंहासे: Acne vulgaris
सबसे आम त्वचा रोगों में से एक है। ये कई कारणों से होते हैं, जैसे हार्मोनल बदलाव, उम्र के साथ बदलाव, गतल खाना, ऑयली स्किन और गर्भावस्था। इनमें त्वचा पर लाल पिंपल्स आते हैं, जिनमें मवाद भी होता है। संक्रमित बालों के रोम से ये पिंपल्स भी निकल सकते हैं। इसके अलावा, एक्ने कभी-कभी दर्दनाक हो सकता है और कुछ त्वचा रोगों का कारण भी हो सकता है।
पित्ती-Hives
पित्ती की खुजली वाले छोटे-छोटे दाने (पित्ती की खुजली) त्वचा की सामान्य परत से ऊपर उठते हैं। वे शरीर में या बाहर से आ सकते हैं, जैसे तनाव, रोग, या यहां तक कि तंग कपड़े से एलर्जी। पित्ती को एंटीहिस्टामाइन और निवारक उपचार मिलता है।
मस्सा -Warts
मानव पेपिलोमावायरस (एचपीवी) वास्तव में मस्सा के रूप में जानी जाने वाली त्वचा पर बड़े दाने बनाता है। मस्सा फैल सकते हैं और शरीर के किसी भी भाग में दिखाई दे सकते हैं। मस्सा अक्सर हाथों, पैरों और जोड़ों पर दिखाई देते हैं, लेकिन वे कहीं भी दिखाई दे सकते हैं। ये स्वचालित रूप से बार-बार आते और चले जाते हैं।
फंगल इंफेक्शन: fungal infection
नाखूनों के पास, नीचे और आसपास फंगल इंफेक्शन होते हैं। पर ये अक्सर पैरों में होता है। फंगल बिल्डअप से नाखूनों के किनारे उखड़ जाते हैं, सफेद-पीले रंग की स्केलिंग बनती है और नाखूनों की सतह जम जाती है।
दाने, रैशज और घमौरियां Rash, pimples and Heat rash
रैशज, दाने और घमौरियां, मौसम बदलने या एलर्जी के कारण भी किसी को परेशान कर सकते हैं। इसमें लाल खुजलीदार दाने होते हैं, जो क्रीम और पाउडर से ठीक हो सकते हैं।
त्वचा रोगों के प्रकार?- Types of Skin Diseases in Hindi
कुछ चर्म रोग छोटे हैं। अन्य गंभीर लक्षणों को जन्म देता है। त्वचा रोगों में से कुछ सबसे आम हैं:
मुँहासे, अवरुद्ध त्वचा के रोम हैं जो तेल, बैक्टीरिया और मृत त्वचा को छिद्रों में बनाते हैं।
एलोपेसिया, एरीटा, आपके बाल छोटे पैच में झड़ रहे हैं।
एटोपिक जिल्द की सूजन (एक्जिमा), सूखी, खुजली वाली त्वचा जो सूजन, दरार या पपड़ी का कारण बनती है
सोरायसिस, पपड़ीदार त्वचा जो सूज या गर्म लग सकती है
Raynaud की घटना में, आपकी उंगलियों, पैर की उंगलियों या शरीर के अन्य भागों में रक्त का प्रवाह कम हो जाता है, जिसके परिणामस्वरूप त्वचा सुन्न हो जाती है या रंग बदल जाता है।
Rosacea, लाल होना, मोटी त्वचा और मुंहासे, अक्सर चेहरे पर होते हैं
त्वचा कैंसर, अनियमित त्वचा कोशिकाओं का विकास होता है।
विटिलिगो, त्वचा पर पिग्मेंट खो देने वाले धब्बे
कई दुर्लभ त्वचा रोग जेनेटिक होते हैं, यानी उन्हें एक व्यक्ति से दूसरे को देते हैं। त्वचा के कुछ दुर्लभ रोगों में शामिल हैं:
एक्टिनिक प्रुरिगो (AP), सूरज के संपर्क में आने पर खुजली देने वाले दाने
Argyria, सिल्वर बिल्डअप के कारण त्वचा का रंग बदलना
क्रोमहाइड्रोसिस, जिसमें रंगीन पसीना होता है।
नाजुक त्वचा, जो आसानी से फफोले और आंसू बहाती है, एपिडर्मोलिसिस बुलोसा नामक संयोजी टिश्यू विकार है।
जन्म के समय त्वचा पर मोटे, सख्त प्लेट या पैच (हार्लेक्विन इचिथोसिस) होना
लैमेलर इचिथोसिस, एक मोमी त्वचा की परत जो जीवन के पहले कुछ हफ्तों में बहती है, जिससे त्वचा पपड़ीदार और लाल हो जाती है।
निचले पैरों पर अल्सर (घाव) में विकसित होने वाले दाने नेक्रोबायोसिस लिपोइडिका हैं।
आयुर्वेद के अनुसार कुष्ठ के कारण:
1 विरुद्ध आहार का सेवन करना जैसे दूध+नमक, दूध+फल, दूध+मछली, दही+मूली आदि
2 उल्टी आने पर रोकना
3 भारी खाना खा कर व्यायाम करना, खेलना
4 गरम व ठंडे पदार्थ मिलाकर खाना
5 अधिक भोजन, कच्चा भोजन, बिना पचे दोबारा खाना, लंबे समय तक उड़द, तिल, मूली, चना खाना
6 पंचकर्म कराते समय नियम पालन न करना
7 दिन में सोना
8 नए अनाज का सेवन करना, तथा पूर्व जन्म के फल से भी कुष्ठ होना है
हमे त्वचा रोग होने से पहले होने वाले लक्षणों पर ध्यान देना चाहिए ताकि इसे पहले ही निवारण किया जा सके
कुष्ठ के पूर्वरूप:
1 पसीना ज्यादा या बिलकुल भी न आना
2 स्पर्श का ज्ञान बिलकुल भी न होना या बहुत ज्यादा होना
3 खुजली, रोम हर्ष, त्वचा पर धब्बे होना
4 रंग में बदलाव आना
5 जलन, सुनापन होना
कुष्ठ के भेद:
अगर मोटे तौर पर देखा जाए तो त्वचा रोगों को दो भागों में बांटा जा सकता है
1 शुष्क (Dry)
2 स्रावी ( wet)
अगर हम दोषों के आधार पर देखे तो मोटे तौर पर कुष्ठ को दोषों की प्रधानता के अनुसार देखा जा सकता है
वैसे तो आयुर्वेद के अनुसार सभी कुष्ठ तीनो दोषों से मिलकर होते हैं
फिर भी लक्षणों के अनुसार दोषों की प्रधानता देखी जा सकती है
वात दोष प्रधान कुष्ठ के लक्षण:
1 खुरदरापन, रूखा होना
2 त्वचा का रंग काला होना
3 त्वचा की परत में दरार आना
4 त्वचा पर खुजाने पर सफेद निशान आना
पित्त दोष प्रधान कुष्ठ के लक्षण:
1 जलन ज्यादा होना
2 त्वचा का लाल रंग हो जाना
3 त्वचा से स्राव निकालना
4 बदबू होना
5 त्वचा का तापमान ज्यादा होना
कफ दोष प्रधान कुष्ठ के लक्षण:
1 खुजली अधिक होना
2 त्वचा का रंग अन्य स्थान से ज्यादा सफेद होना
3 ग्रंथि होना
4 उभार होना
5 छूने पर ठंडा होना
इन लक्षणों के अनुसार हम पता कर सकते हैं की हमारी त्वचा में को रोग है वो कोन से दोष की अधिकता के कारण है
त्वचा रोग के उपचार:
सबसे पहले आयुर्वेद में किसी रोग की प्रथम चिकित्सा निदान परिवर्जन बोला है मतलब जिन कारणों से कोई बीमारी उत्पन्न होती है उन सब को छोड़ना
त्वचा रोगों में पंचकर्म का महत्व:
आयुर्वेद के अनुसार सभी प्रकार के कुष्ठ रोगियों में औषध चिकित्सा (medicine) के साथ साथ पंचकर्म का प्रयोग भी आवश्यक है
जैसे
1 वात प्रधान – दवा युक्त घी पिलाना
2 पित्त प्रधान – विरेचन( दस्त) लगाना, रक्त मोक्षण( खून निकलना) , जोंक से उपचार करना
3 कफ प्रधान – वमन( उल्टी कराना),
इन सभी उपचारों के साथ साथ कुष्ठ के रोगी को मानसिक तनाव का विचार कर भी चिकित्सा की जाती है
कुष्ठ का पाचन से संबंध:
सभी प्रकार के खाने के पचने पर जो आहार रस बनता है उसी से रक्त का निर्माण होना है यदि पाचन अच्छे से नही होगा तो जो आहार रस बनेगा वो शुद्ध नही होगा और इससे जो रक्त बनेगा वो भी अशुद्ध होगा जो त्वचा रोग कर सकता है
इसी कारण त्वचा रोगी की चिकित्सा करते समय उससे पाचन को भी ठीक करना आवश्यक है
आज के समय में हमारी खराब जीवनशैली हमारा खान पान फास्ट फूड, जंक फ़ूड, Ac का ज्यादा इस्तेमाल, चाँट पकौड़े, मिर्च मसाला, योगा न करना आदि बहुत कारण है जिनसे त्वचा रोगों की संख्या बड़ी है
साथ ही ये देखा गया है की जो लोग मांस, मदिरा का ज्यादा सेवन करते हैं उन्हें बहुत ज्यादा त्वचा रोग होने की संभावना रहती है
यदि कोई भी रोगी कुष्ठ को पूर्ण रूप से ठीक करना चाहता है तो उसे इन सभी कारणों को छोड़ कर अपने नजदीकी वैद्य से परामर्श लेना चाहिए